Maulik Adhikar Kya Hai | मौलिक अधिकार क्या हैं

भारत में मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है। ये मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों को प्रदान किया गया है। मौलिक अधिकार अमेरीकी संविधान के “बिल आफ राइट” से प्रेरित हैं। मौलिक अधिकारों की सुरक्षा उच्चतम न्यायालय द्वारा की जाती है। भारत में मौलिक अधिकारों की मांग सर्वप्रथम संविधान विधेयक 1895 ई में की गई थी। फ्रांस की जनता अपने मौलिक औधिकारों के प्रति अत्याधिक सजग थी, जिसके चलते 1789 में फ्रांसीसी शासक लुई सोलहवें को मौलिकअधिकारों उल्लंघन के कारण फांसी चढ़ा दिया गया था। तो चलिये जानते हैं मौलिक अधिकार क्या हैं?

मौलिक अधिकार क्या है (Maulik Adhikar kya Hain)

ऐसे अधिकार जो नागरिकों को उसके समग्र विकास के लिए संविधान के द्वारा प्रदान किए गए हो तथा जिनका संरक्षण भी संविधान के अन्तर्गत किया गया हो, उसे मौलिक अधिकार की संज्ञा दी जाती है। मौलिक अधिकार न्यायालय में वाद-योग होते हैं तथा व्यक्ति एवं राज्य दोनों के विरुद्ध प्राप्त होते हैं। अर्थात राज्य के द्वारा भी अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है। भारत में सर्व प्रथम 1895 में तिलक ने स्वराज्य विधेयक के माध्यम से मौलिक अधिकारों की मांग की थी।

विश्व में मौलिक अधिकारों की शुरुआत ब्रिटेन से मानी जाती हैं। जहां पर सर्वप्रथम 1215 में मैग्ना कार्टा कानून के माध्यम से नागरिकों को अधिकार प्रदान किया गया।

मौलिक अधिकारों की माँग

जवाहर लाल नेहरू प्रथम भारतीय है जिन्होने ना केवल स्पष्ट रूप से मौलिक अधिकारों की मांग की, अपितु इसके प्रारूप का भी निर्धारण किया। इसी लिए जवाहर लाल नेहरू को मौलिक अधिकारों का जनक माना जाता है। तथा इन्होंने मौलिक अधिकारों को संविधान की अन्तरात्मा की संज्ञा दी है।

विशेषता

  • मौलिकअधिकारों को भारत में मैग्ना कार्टा तथा संविधान की आधार शिला की संज्ञा दी जाती है।
  • मूल अधिकारों में अनु॰ 15, 16, 19, 29 व 30 का प्रयोग केवल भारतीय नागरिक ही कर सकते हैं।
  • अनु॰ 20 तथा अनु॰ 21 को आपातकाल के दौरान भी निलम्बित नही किया जा सकता है।
  •  अनु॰ 17 तथा अनु॰ 24 निरपेक्ष मूल अधिकार है।

मौलिक अधिकार कितने हैं (Maulik Adhikar Kitne Hain)

प्रारम्भ में भारतीय संविधान के द्वारा नागरिकों को सात मौलिक अधिकार प्रदान किए गए थे, परन्तु 44वें संशोधन अधिनियम 1978 के माध्यम से सम्पत्ति के अधिकार को (अनु॰ 31) मौलिकअधिकार से हटाकर अनु॰ 300 (क) के अन्तर्गत कानूनी अधिकार बना दिया गया है। वर्तमान में नागरिकों के पास कुल 6 मौलिक अधिकार है।

मौलिक अधिकार एक दृष्टि में

1. समता का अधिकार (अनु. 14 से 18)

2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 19 से 22)

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनु. 23 से 24)

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अन- 25 से 28)

5. संस्कृति तथा शिक्षा का अधिकार (अनु. 29 व 30)

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनु. 32)

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1. समता का अधिकार (14 से 18 )-

अनुच्छेद-14 – विधि के समक्ष समता तथा विधि का समान संरक्षण ।

इसके अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया है कि राज्य सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समता तथा कानून का समान संरक्षण उपलब्ध करवाएगा। राज्य सभी व्यक्तियों के लिए एक समान ढंग से कानून का निर्माण करेगा तथा एक समान तरीके से लागू करवाएगा।

अनुच्छेद-15 – धर्म, मूल-वंश, जाति, लिंग तथा जन्म-स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध ।

राज्य नागरिकों के मध्य केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग तथा जन्म-स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। राज्य एवं व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों जैसे- सार्वजनिक भोजनालय, होटल, सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों के प्रयोग एवं राज्य निधि से पोषित अथवा सार्वजनिक उपयोग के लिए कुओं, तालाब, स्नानागार, सड़कों आदि के उपयोग में धर्म, जाति, लिंग, वंश तथा जन्म-स्थान के आधार पर भेद भाव नहीं करेगा।

अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन में अवसर की समता ।

इसके अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया है कि राज्य सार्वजनिक सेवाओं में जाति, धर्म, लिंग, वंश, जन्म स्थान, उद्भव व निवास के आधार पर नागरिकों के मध्य भेदभाव नहीं करेगा। तथा सभी को केवल योग्यता के आधार पर नियुक्तियां प्रदान की जाएगी।

अनुच्छेद-17 – अस्पृश्यता का अन्त ।

संसद के द्वारा अस्पृश्यता की पूर्ण समाप्ति के लिए 1955 में अस्पृश्यता निवारण अधिनियम पारित किया गया जिसे 1976 से परिवर्तित कर नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम का रूप प्रदाय किया गया है।

अनुच्छेद-18 – उपाधियों का निषेध ।

सेना तथा शिक्षा को छोड़कर कोई भी उपाधि प्रदान नहीं की जाएगी व राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति से ही विदेश से कोई सम्मान, पुरस्कार अथवा उपाधि प्राप्त की जा सकेगी।

2. स्वतन्त्रता का अधिकार (अनु॰19 से 22 तक) –

अनुच्छेद-19 वाक् स्वतंत्रता के संरक्षण।

प्रारम्भ में भारतीय संविधान के द्वारा भारतीय नागरिकों को अनु॰ 19(1) के अन्तर्गत 7 स्वतंत्रताएं प्रदान की गई थी।

अनु. 19[1] –

(a) विचार तथा अभिव्यक्ति के स्वतंत्रा ।

(b) शान्तिपूर्वक बिना हथियारों के सम्मेलन की स्वतंत्रता।

(c) समूह संघ तथा समिति बनाने की स्वतंत्रता।

(d) भ्रमण की स्वतंत्रता।

(e) निवास की स्वतंनता ।

(f) सम्पत्ति की स्वतंत्रता !

(g) कोई भी रोजगार, व्यवसाय अथवा कारोबार की स्वतंता ।

परन्तु 44 वें संशोधन अधिनियम 1978 के माध्यम से सम्पत्ति की स्वतंत्रता को हटा दिया गया तथा वर्तमान में भारतीय नागरिकों के पास कुल 06स्वतंत्रताएं विद्यमान है।

अनुच्छेद- 20 – अपराधी की दोष-सिद्दी से संरक्षण ।

  • भूललक्षी विधियों से संरक्षण – किसी भी व्यक्ति को तब तक अपराधी नहीं ठहराया जा सकेगा जब तक कि उसने अपराध के समय प्रचलित किसी भी विधि का उलंघन ना किया हो एवं उसे आपराध के समय प्रचलित विधि के अन्तर्गत ही दंडित किया जा सकेगा।
  • दोहरे दण्ड से संरक्षण – इसका अभिप्राय है कि एक व्यक्ति को एक अपराध के लिए न्यायालय के द्वारा एक से अधिक बाद दंडित नहीं किया जा सकेगा।
  • आत्म – अभिसंसन से संरक्षण – किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध गवाही देने अथवा किसी भी अपराध को स्वीकार करने के लिए बाध्य नही किया जा सकेगा।

अनुच्छेद-21 – प्राण एवं दैहिक स्वतैलता का संरक्षण ।

इसके अन्तर्गत भारतीय संविधान के द्वारा सभी व्यक्तियों के जीवन का संरक्षण कर दिया गया है तथा यह निर्धारित किया गया है कि विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के बिना किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन की स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकेगा।

1978 के मेनका गांधी बाद में उच्चतम न्यायालय के द्वारा अनु॰ 21 की उदारवादी व्याख्या की गई एवं मनुष्य के गरिमापूर्ण ढंग से जीवन जीने के लिए आवश्यक अधिकारों को अनु॰ 21 में जोड़ने का निर्णय दिया गया।। न्यायालय ने विभिन्न वादों के माध्यम से अनु॰ 21 में स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार, निशुल्क चिकित्सा सहायता का अधिकार, जल का अधिकार, निजता का अधिकार, कार्य स्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीडा का निषेध, जीने का अधिकार आदि शामिल किए गए हैं।

शिक्षा का अधिकार

86 वें संशोधन अधिनियम 2002 के माध्यम से 6 से 14 वर्ष के बालकों को नि: शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा को अनु 21[A] के अन्तर्गत मूल अधिकार बना दिया गया है। इसे लागू कराने के लिए 2009 में संसद के द्वारा कानून का निर्माण किया गया तथा एक अप्रैल 2010 की RTE (Right to education) भारत में लागू कर दिया गया

अनुच्छेद-22 – गिरफ्तारियों से संरक्षण।

सामान्य गिरफ्तारी

इसके अन्तर्गत व्यक्ति को अपराध के पश्चात गिरफ्तार किया जाता है तथा गिरफ्तार होने के बावजूद उसे कारण जानने का, यात्रा के समय को छोड़कर 24 घंटे के भीतर न्यायालय के समक्ष उपस्थि होने का एवं अपने आत्म संरक्षण के लिए वकील के प्रयोग का अधिकार प्राप्त है।

निवारक निरोध

इसके अन्तर्गत व्यक्ति को अपराध के पूर्व ही गिरफ्तार कर लिया जाता है ताकि व्यक्ति किसी भी अपराध को अंजाम ना दे सके। बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के अपराध के पूर्व की गिरफ्तारी निवारक निरोध कहलाती है।

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनु॰23 व 24)-

अनुच्छेद-23 – मानव का दुर्व्यापर तथा बलात श्रम पर प्रतिबंध

इसके अन्तर्गत मनुष्यों का वस्तुओं की भाँति क्रय तथा विक्रम, बेगार, दास प्रथा, बंधुआ प्रणाली, न्यूनतम पारिश्रमिक से कम पर कार्य करना आदि को प्रतिबंधित कर दिया गया है। संसद के द्वारा इस दिशा में 1948 में न्यूसम मजदूरी अधिनियम, 1976 में बन्धुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम का निर्माण किया गया।

अनुच्छेद-24- बालश्रम का प्रतिबंध

इसके अन्तर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बालको को कारखानों तथा जोखिम भरे स्थानों पर कार्य करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसका उद्देश्य बालकों की शोषण से सुरक्षा करना तथा उनके स्वास्थ्य का का संरक्षण करना है।

संसद के द्वारा इस दिशा में 1986 में बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम का निर्माण किया गया। 2012 में संसद के द्वारा बालको के यौन हितो के संरक्षण के लिए PASCO (पास्को) [बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम ] का निर्माण किया गया।

4. आर्थिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनु॰ 25 से 28)-

अनुच्छेद-25 – अन्तःकरण की स्वतंत्रता, किसी भी धर्म को मानने, आचरण करने तथा प्रचार की स्वतंत्रता।

परन्तु उपयुक्त सभी स्वतन्त्रताओं पर सार्वजनिक व्यवस्था, सदाचार तथा स्वास्थ्य के आधार पर उचित प्रतिबन्धों की व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद-26- धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध की स्वतंत्रता ।

इसके अन्तर्गत प्रत्येक धार्मिक समुदाय को धर्म अथवा दान के उद्देश्य से धार्मिक संस्थाओं की स्थापना तथा उसके प्रशासन का, चल एवं अचल सम्पत्ति के निर्माण का तथा उस सम्पत्ति का विधि के अनुसार प्रशासन का अधिकार प्रदान किया गया है।

अनुच्छेद-27 – धार्मिक करों की अदायगी से छूट।

इसके अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया है कि राज्य के द्वारा नागरिकों को धार्मिक कर प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। राज्य किसी भी धर्म विशेष को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए राजस्व का प्रयोग नहीं करेगा।

अनुच्छेद-28 –  राजकीय शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा पर प्रतिबंध।

इसके अन्तर्गत राजकीय शिक्षण संस्थाओं में अथवा ऐसे शिक्षण संस्थान जिनका शत प्रतिशत संचालन राज्य विधि से किया जा रहा हो वहाँ पर धार्मिक शिक्षा को प्रतिबंधित कर दिया गया है। परन्तु ऐसे शिक्षण संस्थान जिसकी स्थापना किसी ट्रस्ट या बोर्ड के अन्तर्गत की गई हो वहां पर धार्मिक शिक्षा प्रदान की जा सकती है। इसी के अन्तर्गत नागरिकों को धार्मिक सभाओं में उपस्थिति से स्वतंत्रता प्रदान की गई है।

प्रस्तावना में निहित पंथ निरपेक्षता की अभिक्ति मूल अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में होती है

5. संस्कृति तथा शिक्षा का अधिकार (अनु॰ 29 व 30)

अनुच्छेद-29 – अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण ।

भारत में प्रत्येक नागरिक जिसकी अपनी स्वयं की भाषा, लिपि तथा संस्कृति हो उसे बनाए रखने का अधिकार होगा । इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक वर्गों के हितों को संरक्षण करना है। राज्य के अन्तर्गत आने वाले संस्थान में किसी भी व्यक्ति को प्रवेश में धर्म, जाति, भाषा, मूल वंश आदि के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकेगा।

अनुच्छेद-30 – शिक्षण संस्थाओं की स्थापना तथा प्रशासन का अधिकार।

धर्म तथा भाषा पर आधारित प्रत्येक अल्पसंख्यक वर्ग को अपने पसंद की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करने तथा उसके प्रशासन का अधिकार होगा। राज्य के द्वारा सहायता अनुदान प्रदान करने में किसी भी शिक्षण संस्थान के साथ इस आधार पर भेद भाव नहीं किया जा सकेगा कि इसका प्रबंधन अपसंख्यक वर्ग के द्वारा किया जा रहा है।

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

अनुच्छेद-32 – संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

भारतीय संविधान निर्माताओ के द्वारा मूल अधिकारों के संरक्षण को अनु॰ 32 में एक मूल अधिकार बना दिया गया है तथा इसके अन्तर्गत व्यक्ति अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए सीधे उच्चतम् न्यायालय की शरण प्राप्त कर सकता है। डा. भीमराव अम्बेडकर ने अनु॰32 को भारतीय संविधान की ‘आत्मा’ की संख्या दी है।

मूल अधिकारों के हनन की स्थिति में नागरिक उच्चतम् तथा उच्च दोनों न्यायालयों की शरण प्राप्त कर सकते है। एवं उच्चतम् न्यायालय अनु॰ 32 के अंतर्गत तथा उच्च न्यायालय अनु॰226 के अन्तर्गत मूल अधिकारों के संरक्षण के लिए निम्न रिट जारी करते हैं।

1. बंदी प्रत्यक्षीकरण

2. परमादेश

3. प्रतिषेध

4. उत्प्रेषण

5.अधिकार पृच्छा

FAQ

Ques- मौलिक अधिकार क्या है? | maulik adhikar kya hai

ऐसे अधिकार जो नागरिकों को उसके समग्र विकास के लिए संविधान के द्वारा प्रदान किए गए हो तथा जिनका संरक्षण भी संविधान के अन्तर्गत किया गया हो, उसे मौलिक अधिकार की संज्ञा दी जाती है। मौलिक अधिकार न्यायालय में वाद-योग होते हैं तथा व्यक्ति एवं राज्य दोनों के विरुद्ध प्राप्त होते हैं। अर्थात राज्य के द्वारा भी अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है।

Ques- मौलिक अधिकार कितने हैं? | maulik adhikar kitne hain

प्रारम्भ में भारतीय संविधान के द्वारा नागरिकों को सात मौलिक अधिकार प्रदान किए गए थे, परन्तु 44वें संशोधन अधिनियम 1978 के माध्यम से सम्पत्ति के अधिकार को (अनु॰ 31) मौलिकअधिकार से हटाकर अनु॰ 300 (क) के अन्तर्गत कानूनी अधिकार बना दिया गया है। वर्तमान में नागरिकों के पास कुल 6 मौलिक अधिकार है।

Ques- भारतीय नागरिकों को कितने मौलिक अधिकार प्राप्त है? | bhartiya nagrik ko kitne maulik adhikar prapt hai

भारतीय नागरिकों को कुल 6 मौलिक अधिकार प्राप्त  है।

  • मूल अधिकारों में अनु॰ 15, 16, 19, 29 व 30 का प्रयोग केवल भारतीय नागरिक ही कर सकते हैं।

Ques- मौलिक अधिकार की विशेताओं का वर्णन करें? | maulik adhikar ki visheshtaon ka varnan karen

  • मौलिकअधिकारों को भारत में मैग्ना कार्टा तथा संविधान की आधार शिला की संज्ञा दी जाती है।
  • मूल अधिकारों में अनु॰ 15, 16, 19, 29 व 30 का प्रयोग केवल भारतीय नागरिक ही कर सकते हैं।
  • अनु॰ 20 तथा अनु॰ 21 को आपातकाल के दौरान भी निलम्बित नही किया जा सकता है।
  •  अनु॰ 17 तथा अनु॰ 24 निरपेक्ष मूल अधिकार है।

Ques- शिक्षा का मौलीक अधिकार को समझाए? | shiksha ke maulik adhikar ko samjhaie

शिक्षा का अधिकार

86 वें संशोधन अधिनियम 2002 के माध्यम से 6 से 14 वर्ष के बालकों को नि: शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा को अनु 21[A] के अन्तर्गत मूल अधिकार बना दिया गया है। इसे लागू कराने के लिए 2009 में संसद के द्वारा कानून का निर्माण किया गया तथा एक अप्रैल 2010 की RTE (Right to education) भारत में लागू कर दिया गया

Ques- मौलिक अधिकार चार्ट? | maulik adhikar chart

1. समता का अधिकार (अनु. 14 से 18)

2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 19 से 22)

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनु. 23 से 24)

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अन- 25 से 28)

5. संस्कृति तथा शिक्षा का अधिकार (अनु. 29 व 30)

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनु. 32)

Ques- मौलिक अधिकार का रक्षक कौन है? | maulik adhikar ka rakshak kaun hai

भारत में मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है। ये मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों को प्रदान किया गया है। मौलिक अधिकार अमेरीकी संविधान के “बिल ओफ राइट” से प्रेरित हैं। मौलिक अधिकारों की सुरक्षा उच्चतम न्यायालय द्वारा की जाती है।

Ques- मौलिक अधिकार किस भाग मे है? | maulik adhikar kis bhag mein hai

भारत में मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है।

Ques- वर्तमान मे मौलिक अधिकार कितने है? | vartman mein maulik adhikar kitne hain

वर्तमान में नागरिकों के पास कुल 6 मौलिक अधिकार है।

Ques- अभियक्ति की आजादी किस प्रकार का मौलिक अधिकार है? | abhivyakti ki azadi kis prakar ka maulik adhikar hai

 

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