खिलाफत आन्दोलन –
खिलाफत आन्दोलन (Khilafat Andolan) भारत में मुख्यतः मुसलमानों द्वारा चलाया गया राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन था। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की में खलीफा (मुस्लिम धर्म के सर्वोच्च धर्म गुरू) के पद की पुन: स्थापना कराने के लिए अंग्रेजों पर दबाव बनाया था। प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन विजयी रहा, तत्पश्चात ब्रिटेन ने तुर्की का विभाजन करने का निर्णय लिया। भारतीय मुस्लमान तुर्की के सुल्तान को अपना खलीफा मानते थे। उन्हें लगा इस प्रकार विभाजन करने से खलीफा की शक्तियां छीन ली जाएगी। इस समय तुर्की का सुल्तान महमतVI था ।
खिलाफत आन्दोलन प्रारंभ (मार्च 1919-जनवरी 1921) करने के लिए गठित खिलाफत कमेटी में शौकत अली, मुहम्मद अली, अबुल कलाम आजाद, हकीम अजमल खान ,हसर मोहानी तथा डॉ० अंसारी शामिल थे। यद्यपि खिलाफत आंदोलन प्रारम्भ करने का श्रेय मुख्यता आली बंधुओं -शौकत अली तथा मुहम्मद अली को दिया जाता है। गांधी जी भी खिलाफत आन्दोलन में शामिल हो गए ताकि आगे चलकर भारत की स्वतंत्रता में मुस्लमानों का सहयोग मिल सके। गांधी जी ने खिलाफत आन्दोलन को हिन्दु-मुस्लिम एकता का ऐसा सुनहरा अवसर माना जो अगले 100 वर्षो में मिलना दुर्भर था।
सितम्बर 1919 ई॰ में गठित अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी के सम्मेलन की अध्यक्षता भी महात्मा गांधी को प्रदान की गई। मुहम्मद अली जिन्ना खिलाफत आन्दोलन को देश की स्वतंत्रता के आन्दोलन से जोड़ने के विरोधी थे। उन्होने गांधी जी को राजनीति में धर्म को न लाने की सलाह दी थी। उन्होने खिलाफत आन्दोलन में गांधी जी की भागीदारी के विरुद्ध गांधी जी को सावधान किया था कि वे मुस्लिम धार्मिक नेताओं एवं उनके अनुयायियों के कट्टरपन को प्रोत्साहित न करें?
जून 1920 ई० को इलाहाबाद में खिलाफत कमेटी की बैठक हुई गांधी जी ने अध्यक्षता की तथा इसी बैठक में 1 अगस्त 1920 को असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया। गांधी जी ने वायसराय चेम्सफोर्ड को पत्र लिखकर कहा कि ” कुशासन करने वाले शासक को सहयोग करने से इनकार करने का अधिकार भारत के प्रत्येक नागरिक को है”।
सेव्रेस संधि –
10 अगस्त 1920 को सेव्रेस संधि के चलते तुर्की का विभाजन हो गया तुर्की में कमालपाशा के नेतृत्व में सरकार बनी और कमाल पाशा ने सुल्तान (खलीफा) का पद समाप्त कर दिया। जिससे भारतीय मुसलमानों का उद्देश्य खत्म हो गया तथा खिलाफत आन्दोलन (जनवरी 1921) समाप्त कर दिया गया।
सेव्रेस संधि-
- यूरोप में कुस्तुतुनिया को छोड़कर पूरे साम्राज्य को समाप्त कर दिया गया
- सीरिया, मेसोपोटामिया, फलस्तीन, जार्डन को राष्ट्र संघ के संरक्ष में रख दिया गया। ये स्थान पहले तुर्की में आते थे।
- तुर्की को और भी हिस्से यूनान को देना पड़ा।
- मिश्र पर इंग्लैण्ड का अधिकार स्वीकार कर लिया गया।
- जल सेना पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
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FAQ
Ques -खिलाफत आंदोलन कब हुआ था?(khilafat andolan kab hua tha) या (khilafat andolan kab hua)
अली बंधुओं-मोहम्मद अली और शौकत अली ने मार्च 1919 मे खिलाफत आंदोलन की शुरुआत की ।
Ques -खिलाफत आंदोलन के संस्थापक कौन है? (khilafat andolan ke sansthapak kaun hai)
या खिलाफत आंदोलन के मुखिया कौन थे? (khilafat andolan ke mukhiya kaun the)
खिलाफत आंदोलन प्रारम्भ करने का श्रेय मुख्यता आली बंधुओं –शौकत अली तथा मुहम्मद अली को दिया जाता है। मार्च 1919 मे खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई तथा जनवरी 1921 मे समाप्त हुआ ।
Ques -खिलाफत आंदोलन का अंत कैसे हुआ?(khilafat andolan ka ant kaise hua)
10 अगस्त 1920 को सेव्रेस संधि के चलते तुर्की का विभाजन हो गया तुर्की में कमालपाशा के नेतृत्व में सरकार बनी और कमाल पाशा ने सुल्तान (खलीफा) का पद समाप्त कर दिया। जिससे भारतीय मुसलमानों का उद्देश्य खत्म हो गया तथा खिलाफत आन्दोलन (जनवरी 1921) समाप्त कर दिया गया।
Ques -सेब्र की संधि कब हुई थी?(sebras ki sandhi kab hui thi )
10 अगस्त 1920 को सेव्रेस संधि के चलते तुर्की का विभाजन हो गया तुर्की में कमालपाशा के नेतृत्व में सरकार बनी और कमाल पाशा ने सुल्तान (खलीफा) का पद समाप्त कर दिया।
Ques -अंतिम खलीफा कौन था?(antim khalifa kaun tha)
तुर्की का अंतिम खलीफा महमत VI थे।