चम्पारन सत्याग्रह (नील सत्याग्रह) –
champaran satyagraha को चम्पारण किसान आन्दोलन व नील सत्याग्रह भी कहते हैं। गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह और अहिंसा के अपने आजमाए हुए अस्त्र का भारत में पहला प्रयोग चम्पारण की धरती पर ही किया। चम्पारन बिहार राज्य का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में अँग्रेजी भूमिपतियों द्वारा किसानों का शोषण एक लम्बे समय से होता आ रहा था।
19वीं सदी के आरम्भ में भूमिपतियों ने किसानों से एक अनुबंध करा लिया, जिसके तहत किसाने को अपनी जमीन के 3/20 हिस्से में (खेत को 20 भाग में बाँट कर, 3 भाग पर ) नील की खेती करना अनिवार्य था। इसी को तिनकठिया पद्धति कहते हैं। 1860 तक रैयतों को बीघा पीछे पांच कट्ठा नील बोना पड़ता था, परन्तु 1867 ई. के आते-आते यह कम होकर तीन कट्ठा हो गया। फलता तभी से इस प्रथा का नाम तिनकठिया पड़ा।
note – बिहार में भूमि के टुकड़े को कट्ठा कहा जाता है ।
कार्यक्रम :- 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में बिहार से काफी संख्या में प्रतिनिधि शामिल हुए थे। उन्हीं में चम्पारन के राजकुमार शुक्ल भी थे। उन्होंने चम्पारण के किसानों की दयनीय स्थिति पर गांधी जी का ध्यान आकर्षित किया। शुक्ल के अनुरोध पर गांधी जी चम्पारणा आने और स्थिति का अध्ययन करने को सहमत हुए।
राजकुमार शुक्ल का पत्र –
गांधी जी 10 अप्रैल को कलकत्ता से पटना पहुंचे, पटना के बाद अगले दिन वे मुजफ्फरपुर पहुंचे जहाँ पर अगले दिन सुबह उनका स्वागत मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय के प्रोफिसर और बाद में कॉलेस के अध्यक्ष बने, जे. बी. कृपलानी ने किया। मुजफ्फरपुर में ही गाँधी से राजेंद्र प्रसाद की पहली मुलाकात हुई, यहीं पर उन्होंने राज्य के कई बड़े वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से आगे की रणनीति तैयार की। 11 अप्रैल को गांधी जी ने जे ॰एम॰विल्सन मुजफ्फरपुर जाकर भेंट की तथा उनको अपने आने का कारण बताया, परन्तु विल्सन ने सहायता करने से इन्कार कर दिया।
स्थानीय प्रशासन ने गांधी जी के आगमन पर रोक लगाने का निर्णत लिया और गांधी जी को कानून विरोधी आचरण के लिए गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया गया। यह भारत मे गांधी जी का प्रथम कारावास था किन्तु शांतिपूर्ण तरीके से प्रतिरोध करना वास्तव में नया प्रयोग था। अत: अंग्रेजों ने स्थानीय प्रशासन को अपना आदेश वापस लेने तथा गांधी जी को चंपारण गाँव में जाने की छूट देने का निर्देश दिया।
गाँधी जी की मांगें –
4 अक्टूबर 1917 ई ॰ को चम्पारण कृषि समिति ने अपनी सिफारिश प्रस्तुत की। इस समिति में गांधी जी भी शामिल थे , इसमें कहा गया था कि बढे हुए लगान का 1/4 हिस्सा छोड़ दिया जाए तथा बाकी 3/4 हिस्सा ज्यों का त्यों बना रहे। नगद वसूल की गई राशि में से 25% वापस कर दिया जाए एवं शेष रैयत छोड़ दें तथा तिनकठिया प्रथा समाप्त कर दी जाए। इस तरह गांधी जी ने किसानों की राहत के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की।
- गांधी के द्वारा प्रथम सफल नेतृत्व से प्रभावित होकर रविन्द्रनाथ टैगोर ने ” महात्मा “की उपाधि प्रदान की।
- इसी सत्याग्रह से महादेव देसाई गांधी के सचीव बने तथा जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार भारतीय राजनीति में प्रवेश किया।
Note : नील सत्याग्रह (चम्पारण सत्याग्रह) का उल्लेख दीनबंधु के ग्रंथ नील दर्पण में मिलता है।
संक्षेप में –
- आंदोलन की शुरुआत – 1917
- मुददा- तिनकठिया प्रथा, जबरन नील की खेती करवाना, 46 प्रकार के अवैध टैक्स ।
- गांधी जी की भूमिका –
- उनके दाखल से सत्याग्रह को ताकत मिली ।
- गांधी जी ने अंग्रेज़ अधिकारियों से संवाद किया ।
- किसानों के बयान दर्ज हुए और कानून की जांच हुई ।
- सत्याग्रह से सुधार –
- एक महीनें मे जांच कमेटी गठित हुई ।
- तिनकठिया समेत कई अवैध कानून खत्म हुए ।
- आंदोलन के बड़े नेता – महात्मा गांधी , आचार्य कृपलानी , डॉ राजेन्द्र प्रसाद , ब्रजकिशोर, महादेव देसाई, नरहरि पारिख आदि
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FAQ
Ques – चंपारण सत्याग्रह का मुख्य कारण क्या था?
तिनकठिया प्रथा, जबरन नील की खेती करवाना, 46 प्रकार के अवैध टैक्स ।
Ques – चंपारण सत्याग्रह कब और कहां हुआ?
चंपारण सत्याग्रह 1917 ई ॰ में बिहार के चंपारण नामक गाँव में हुआ था।
Ques – 1917 के चंपारण सत्याग्रह में कौन कौन थे?
चंपारण सत्याग्रह 1917 ई ॰ में बिहार के चंपारण नामक गाँव में हुआ था। इस सत्याग्रह में महात्मा गांधी , आचार्य कृपलानी , डॉ राजेन्द्र प्रसाद , ब्रजकिशोर, महादेव देसाई, नरहरि पारिख आदि ने भाग लिया ।
Ques – महात्मा गांधी का पहला आंदोलन कौन सा था?
गांधी जी का भारत में पहला सत्याग्रह 1917 का चंपारण सत्याग्रह था ।
Ques – चंपारण आंदोलन का निष्कर्ष क्या है?
- एक महीनें मे जांच कमेटी गठित हुई ।
- तिनकठिया समेत कई अवैध कानून खत्म हुए ।
- चंपारण एगरेरियन बिल पास हुआ ।